स्कूली बच्चें क्यों कर रहें अपराध व हत्या!जिम्मेदार परिवार या समाज या इंटरनेट या फिल्में..?
परिवार व समाज को होना होगा चिंतित..!! बच्चे का दिमाग एक कोरी स्लेट की तरह होता है वह जो कुछ भी पहले देखता या सुनता है वह उसमें दर्ज हो जाता है चाहे वह अपराध हो या अच्छे संस्कार लेकिन देखने में आ रहा हैं कि कुछ बच्चे अपनी मासूमियत और सहजता क्यों खोते चले जा रहें है?कोई मामूली बात या झिझक के बाद अपने साथ बढ़ने वाले बच्चे के खिलाफ बदला लेने और हिंसक भावना से भर जाए तो यह परिवार समाज और एक भी नाकामी होने का ही सबूत है!अब यह कल्पना भी इंसान को दहला देती है कि कम उम्र के बच्चे अब इस मानसिक अवस्था में जीने लगे हैं कि एक बेहद मामूली बात पर बेलगाम होकर उनमें से कोई अपने ही किसी सहपाठी की ही हत्या कर दे!दिल्ली के बदरपुर इलाके में स्थित एक स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र ने उसके साथ पढ़ने वाले दो बच्चों को मात्र इस लिए मार दिया कि उसने दोनों बच्चों को सिगरेट पीते देख लिया।परिवार व समाज को इस पर चिंतित होना चाहिए कि सार्वजनिक जीवन में कहां और क्या ऐसी चूक हो रही है कि जिस उम्र में बच्चों को सद्भाव का प्रतीक होना चाहिए पढ़ाई में दिलचस्पी लेनी चाहिए मामूली बातों पर थोडा झगड़ने के बाद फिर