शिव नवरात्रि के षष्ट‍म दिवस बाबा महाकाल ने दिया उमा महेश स्वरूप में दर्शन

 तेजस्वी न्यूज उज्जैन भागीरथ शर्मा

26/02/2022

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आज 26 फरवरी शनिवार   शिवनवरात्रि के षष्ट‍म दिवस सायं पूजन के पश्चा्त बाबा महाकाल ने   

"" उमा -  महेश"" स्वरूप धारण कर भक्तों को दर्शन दिये। प्रात: श्री महाकालेश्वर मंदिर के नैवैद्य कक्ष में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का पूजन किया गया तथा कोटितीर्थ कुण्डे के पास स्थापित श्री कोटेश्ववर महादेव के पूजन के पश्चात शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनि रूद्रपाठ से किया गया . सायं पूजन के पश्चात बाबा श्री महाकाल को कत्थई रंग के वस्त्र धारण करवाये गये एवं भगवान श्री महाकालेश्ववर को उमामहेश स्वेरूप  का श्रृंगार कर  मुकुट, मुण्डमाल, एवं फलों की माला धारण करायी गयी।

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 27 फरवरी रविवार को भगवान श्री महाकाल होलकर स्वरूप में दर्शन देंगे। 

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कलेक्टर सर ने दिया मार्गदर्शन : दर्शन रूट निर्धारित किया

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कलेक्टर श्री आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सत्येंद्र शुक्ल ने वरिष्ठ अधिकारियों की टीम के साथ सभी दर्शनार्थियों के आवागमन की सुविधा व विस्तारीकरण की सीमाओं को देखते हुए दर्शन मार्ग को आज अंतिम रूप दिया. इसे सलंग्न मानचित्र में प्रदर्शित किया गया है. दर्शन हेतु मुख्य प्रवेश मार्ग चारधाम के सामने से हरसिद्धि मंदिर की ओर जाने वाला प्रमुख चौड़ा मार्ग होगा.जंहा से श्रद्धालुजन दाहिने बड़े गणेशजी के मंदिर के सामने से होकर शंख द्वार से अंदर प्रवेश करेगें. वंही निर्गम पुरानी धर्मशाला व प्रवचन हाल के पास से पुनः बड़े गणेशजी के मंदिर से होकर सीधे हरसिद्धि मंदिर पंहुचेंगे जंहा से चारधाम अथवा झलारिया मठ दोनों ओर से गंगोत्री गार्डन, गंगा गार्डन पहुंचकर गन्तव्य की ओर रवाना हो सकेंगे. मंदिर समिति द्वारा श्रद्धालुओं को कम पैदल चलना पड़े इस हेतु निःशुल्क e रिक्षा व मैजिक वाहन लगातार उपलब्ध होंगे. पीने के पानी, प्रसाद, शीघ्र दर्शन, जूता स्टैंड आदि सुविधाओं सभी  स्थल पर उपलब्ध रहेगी. बेर्रीकेडिंग से गमन आगमन सुव्यवस्थित रहेगा.

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रु. 05 लाख का दान

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जयपुर के श्रद्धालु श्री हिमांशु साहनी ने पुरोहित श्री हेमंत भट्ट गुरु की प्रेरणा से मंदिर को रु 5.00 लाख का दान किया जिसे श्री जूनवाल व श्री उदेनिया ने प्राप्त कर विधिवत रसीद प्रदान की.

शिव नवरात्रि के छटवें  दिवस कथारत्न हरिभक्त परायण पं. श्री रमेश कानडकर जी द्वारा शिव कथा व हरिकीर्तन में चित्रसेन गंधर्व के चरित्र का वर्णन किया जिसमें  भक्त  और भगवान के  युद्ध के बारे में बताया।     

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