झालू का मां काली मंदिर 150 वर्ष पूर्व अग्रवाल समाज की देन मंदिर परिसर में 9 देवी देवताओं की मूर्तियां विराजमान
झालू मे आस्थाओं के प्रतीक धार्मिक स्थलों पर खास रिपोर्ट
भक्त तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले करते हैं मां के दर्शन
रिज़वान सिद्दीकी
झालू। झालू में मां काली का प्राचीन मंदिर आस्था का प्रतीक है। मंदिर की मान्यता है कि भक्तों द्वारा मांगी गई मनोकामना मां काली पूर्ण करती हैं। मंदिर 150 वर्ष से भी अधिक पुराना है। नवरात्रों के नौ दिनों मंदिर पर सुबह-शाम मां काली की भव्य आरती होती है जिसमें भक्त मां की आरती करते है।
कस्बा झालू में मोहल्ला जोशियान स्थित मां काली का प्राचीन मंदिर आस्था का प्रतीक है। प्रचीन मन्दिर 150 वर्ष से भी पुराना है। मंदिर में झालू से ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र व दूर-दराज से श्रद्धालु मंदिर में आकर अपने परिवार की सुख संबंधी की कामना करते हैं। मन्दिर परिसर में नौ देवियो, हनुमान जी, राम दरबार, भैरव जी, शनिदेव जी, भूरे मल देवता की मूर्तियां विराजमान है।
मन्दिर कमेटी के अध्यक्ष राजीव शर्मा बताते हैं कि मां काली से सच्चे मन से जो भी भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां काली की आराध्य करता है मां काली उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती हैं।
सेठ पुष्पेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि मंदिर 150 साल से भी अधिक पुराना है उनकी दादी चमपिया देवी ने अपने परिवार के मकानों की चारों दिशाओं को सुरक्षित करने के उद्देश्य से ठाकुरद्वारा शिव मन्दिर, शक्ति पीठ, पीर शकाला व मां काली के मन्दिर का निर्माण करवाया था। जिसमें आज भी सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती हैं।
अर्जुन अग्रवाल ने बताया की मां काली का प्रचीन मन्दिर सिद्ध पीठ मन्दिर है। पहले। मन्दिर तालाब के समीप होने से बरसात के समय मन्दिर में पानी भर जाता था। मन्दिर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। खेतों की डोल (बटियो) से गुजर कर मन्दिर जाना पड़ता था। लेकिन अग्रवाल समाज ने मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया। तत्पश्चात मंदिर परिसर में अनेक मूर्ति स्थापित की गई। आज प्राचीन मंदिर आस्था का प्रतीक है।
अभिषेक गर्ग का कहना है कि कोई भी भक्त तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले प्राचीन मां काली के मन्दिर में पूजा अर्चना करने के पश्चात यात्रा करने के लिए जाता है। तथा वापस आकर मां काली के मन्दिर में पूजा अर्चना करता है।
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