सीएम बेहद सख्त, गड्ढा मुक्त सड़क पूर्ण होने से फिर भी हिचकोले खाएंगे भक्त




संवादाता   प्रद्युम्नकुमार 



 कांवड़ लेकर बाबा का जलाभिषेक करने जाने वाले भक्तों की राह इस बार भी आसान नहीं होगी। उन्हें सड़कों पर कठिन परीक्षा से गुजरना होगा। कहीं पगडंडियों पर संभलना होगा तो कहीं उबड़-खाबड़ सड़कों पर हिचकोले खाने होंगे। पत्थर की नुकीली गिट्टियां पैरों को जख्मी कर सकती हैं। दरअसल, कांवड़ यात्रा वाले मार्गों को अब तक दुरुस्त नहीं किया जा सका है। सावन शुरू होने में महज चंद दिन शेष हैं, इसके बावजूद जिम्मेदार इससे बेखबर हैं। उनकी यह सुस्ती तब है जब मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कांवड़ यात्रा वाले मार्गों को सुधारने के निर्देश दिए हैं।

गुप्तकाशी के रूप में चर्चित सोनांचल में भगवान भोलेनाथ के कई प्रमुख मंदिर हैं, जहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सावन में बाबा का जलाभिषेक कर आशीर्वाद लेने दूरदराज से लोग पहुंचते हैं। कांवड़ लेकर नंगे पांव चलते हैं। घोरावल स्थित शिवद्वार मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती का विग्रह अद्भुत है। पौराणिक महत्व वाले अति प्राचीन इस शिवालय में विशाल मेला लगता है। मिर्जापुर के बरियाघाट स्थित गंगा तट से कांवड़ में जल लेकर भक्त नंगे पाव जलाभिषेक के लिए आते हैं तो दूसरी ओर विजयगढ़ दुर्ग पर स्थित श्रीराम सरोवर से भी जल लेकर कांवड़ यात्रा करने वालों की संख्या हजारों में होती है। सावन माह की शुरुआत के साथ भक्तों का जत्था कांवड़ यात्रा के लिए निकलने लगेगा, मगर जिम्मेदार अब तक चैन की नींद सो रहे हैं। हाल यह है कि प्रमुख शिवालयों को जाने वाले मार्ग को ही दुरुस्त नहीं किया जा सका है और न ही उन सड़कों की दशा ही सुधारी गई है, जहां से कांवड़िए जल भरने जाते हैं।

घोरावल में मुक्खा मोड़ से लेकर बाईपास तक करीब चार किमी सड़क पूरी तरह ध्वस्त है। अनगिनत गड्ढों में राहगीर हिचकोले खाते हैं। नंगे पांव चलने वाले कांवड़ियों के लिए इस सड़क पर यात्रा काफी तकलीफदेह साबित होगी। इस मार्ग को बनवाने के लिए क्षेत्रीय लोग काफी समय से मांग कर रहे हैं, मगर हर बार मरम्मत के नाम पर कोरम पूरा कर छोड़ दिया जाता है। हर बार मरम्मत के साथ सड़क की दशा और भी बदतर हो जाती है। मौजूदा समय में सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं है। दूसरी ओर विजयगढ़ दुर्ग को जाने वाली सड़क भी पगडंडीनुमा है। मऊ कला नाले से विजयगढ़ दुर्ग के मुख्य द्वार तक गिट्टी और बोल्डर के पगडंडी से श्रद्धालु आते-जाते हैं। काई के कारण फिसलन से हादसे का खतरा रहता है। धंधरौल बांध से चतरा, चुर्क और नई बाजार तक जगह-जगह सड़कें गड्ढे में तब्दील है।

मार्गों पर पसरा रहता है अंधेरा

सोनभद्र। विजयगढ़ दुर्ग से शिवद्वार जाने वाले मार्ग पर जगह-जगह अंधेरा रहता है। रात में रोशनी का प्रबंध न होने से सबसे अधिक श्रद्धालुओं को विजयगढ़ दुर्ग से धंधरौल बांध तक आने-जाने में परेशानी होती है। जंगली इलाकों में रास्ता ठीक न होने से चोट लगने और विषैल जंतुओं के काटने का डर बना रहता है। घोरावल में बेलन नदी के आसपास अंधेरा होने से भी दुर्घटनाएं होने का भय बना रहता है। पूर्व में सर्प के काटने और नदी में डूबने से कई कांवरियों की मौतें हो चुकी है।

जिन मार्गों से कांवड़ लेकर श्रद्धालु जाएंगे उन्हें दुरुस्त कराया जाएगा, ताकि किसी प्रकार की समस्याएं न हो। श्रावण मास में होने वाले कार्यक्रमों को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। डीएम ने सभी एसडीएम, सीओ, एक्सईएन को भ्रमण कर जो भी समस्या है, उसे दूर कराने का निर्देश दिया है। - सहदेव मिश्रा, अपर जिलाधिकारी

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