सोनभद्र- जिले की कमान किसके हाथ होगी महिला या पुरुष के माथापच्ची शुरू
तेजस्वी रिपोर्ट कमलेश पाण्डेय (राबर्टसगंज) सोनभद्र, उत्तर प्रदेश 8382048247
यूपी पंचायत व के बाद अब ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए राजनीतिक गठजोड़ शुरू हो चुका है। सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इसे लेकर कई राउंड बैठक कर चुकी है। पूरे प्रदेश में विपरीत रिजल्ट आने से बीजेपी खासा परेशान हैं। क्योंकि आगामी 2022 में विधानसभा चुनाव होना है। यूपी पंचायत चुनाव को शुरू से विधानसभा का सेमीफाइनल बताया जा रहा था। ऐसे में सेमी फाइनल बीजेपी के लिए बेहद शर्मनाक रहा, इसलिए बीजेपी हर क़दम काफी फूंक-फूंक कर रखना चाहती है।
सोनभद्र की बात करें तो यहां जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 31 है जबकि क्षेत्र पंचायतों के 781 सदस्य हैं ।यूं तो चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अपना दांव आजमाया था लेकिन चला सिर्फ कुछ ही का ।
जिला पंचायत में पहले पायदान पर सपा है जबकि BJP तीसरे नंबर पर दूसरे स्थान पर निर्दल प्रत्याशी प्रत्याशियों की संख्या है और यही संख्या निर्णायक बन सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए टक्कर प्रमुख दो दल सपा और भाजपा के बीच होगी
अब यदि आंकड़ों पर गौर करें तो सपा के पास 11 जबकि भाजपा के पास मात्र 6 की संख्या है। जबकि अध्यक्ष बनने के लिए मैजिक आकडा 16 की जरूरत है। ऐसे में सपा मैजिक आंकड़े के सबसे नजदीक है और उसे मात्र पांच सदस्यों की जरूरत पड़ेगी।
जबकि भाजपा को 10 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। सपा में जिन नामों पर चर्चा चल रही है ।उनमे पहले नंबर पर जय प्रकाश पांडे उर्फ चेखुर पांडे हैं जबकि दूसरे नंबर पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव हैं वही चर्चाओं की माने तो भाजपा में दावेदारी पेश करने वाली तीनों महिला प्रत्याशी हैं जिसमें पहले नंबर पर संजीव त्रिपाठी की पत्नी उत्तरा त्रिपाठी का नाम चल रहा था लेकिन पिछले कुछ दिनों से भाजपा जिला उपाध्यक्ष इंजीनियर रमेश पटेल की पत्नी रितु सिंह के नामों की चर्चा तेज हो गई है। हालांकि राजनीतिक में अंत तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी होती है। इसके अलावा पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार भी अपनी पत्नी मुनिया देवी को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। इसलिए तीसरे नाम की चर्चा उनकी है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सभी की निगाह निर्दल प्रत्याशियों पर होगी। लेकिन भाजपा की कुछ आसान करने में अपना दल (यस) व ब स पा कर सकती है ।क्योंकि माना जा रहा है कि अपना दल (यस )बीजेपी की सहयोगी पार्टी के रूप में है तो वह अलग नहीं जाएगी वहीं बसपा भाजपा के साथ जा सकती है। जबकि अपना दल (कृष्णा गुड )सपा के साथ जा सकती है। क्योंकि उसका उस दल के साथ जाना मंजूर नहीं होगा जहां (यस) होगा फिलहाल यह सब अपने हैं। लेकिन जानकार मानते हैं कि शासन सत्ता से दूर सपा को जिस तरह से लोगों ने अपना समर्थन दिया है। उसे भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है ।ऐसे में निर्दल प्रत्याशी भी सपा की तरफ अपना दांव खेल सकते हैं।
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